पर कहाॅं है हानि कितनी सोचना हर हाल में। पर कहाॅं है हानि कितनी सोचना हर हाल में।
वह प्रकृति के साथ बैठकर मंद मंद मुस्कुरा रहे थे। वह प्रकृति के साथ बैठकर मंद मंद मुस्कुरा रहे थे।
युनानी मिस्र रूमां सब मिट गए जहाँ से, बाकी अभी तलक है नामों-निशां हमारा। युनानी मिस्र रूमां सब मिट गए जहाँ से, बाकी अभी तलक है नामों-निशां हमारा।
अब धरती अपनी सब्र खो चुकी है, बदलना चाहती है अब अपना स्वभाव अब धरती अपनी सब्र खो चुकी है, बदलना चाहती है अब अपना स्वभाव
वक्त के बारे में एक कविता। वक्त के बारे में एक कविता।
बदलते परिवेश में बदले सारे देश धरती बदली मानव बदला बदला सबका भेष। बदलते परिवेश में बदले सारे देश धरती बदली मानव बदला बदला सबका भेष।